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एकं दृश्यं द्वौ विचारौ



एकं दृश्यं द्वौ विचारौ

नेहा राहुलः च मातृ-पितृभ्यां सह शिवालयं गच्छतः स्म ।  नगरात् बहिः मार्गे तैः एकः आम्रवृक्षः दृष्टः ।  वृक्षस्य शाखासु बहूनि आम्रफ़लानि आसन् ।  वृक्षस्य अधः कश्चन मनुष्यः यष्ट्या शाखासु ताडयन् आम्रफ़लानि पातयति स्म ।  नेहा राहुलः च एतद् दृश्यं अवलोकयतः स्म ।  प्रहारं कृत्वा अपि फ़लम् न पतितं चेत् सः वारंवारं बलेन प्रहारं करोति स्म ।

"एतद् दृष्ट्वा भवतोः मनसोः के के विचाराः आगताः?"---- पिता पृष्टवान् ।

" सः मनुष्यः शाखासु यष्ट्या ताडयन् अस्ति ।  तदा एव वृक्षतः आम्रफ़लं पतति ।  यत् किमपि वयम् इच्छामः तत् प्राप्तुम् आक्रमणम् आवश्यकम् इति अहं मन्ये।"---राहुलः उक्तवान्।

" मम विचारः भिन्नः ।  यद्यपि सः वृक्षं ताडयति तथापि वृक्षः फ़लानि एव ददाति तस्मै ।  " ------नेहा विचारं प्रकटितवती ।
" शोभनम् ।  नेहे , उत्तमः विचारः ।  वृक्षः परोपकारार्थम् एव जीवति ।  मरणोत्तरम् अपि परोपकारम् एव करोति ।
राहुल, एषः तु अस्माकं पुरतः आदर्शः ।  " --- माता उक्तवती।


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5 تعليقات

  1. सुन्‍दर प्रयास है आपका, हिन्‍दी भावार्थ भी यदि हो तो हमें समझ में आवेगा.

    धन्‍यवाद.

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  2. अति सुन्दर बोध कथा

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  3. हिन्‍दी का अर्थ
    संक्षेप में


    नेहा और राहुल
    माता पिता के साथ शिवालय जा रहे थे ।

    नगर से बाहर उन्‍हे एक व्‍यक्ति आम के वृक्ष पर डंडा मारते हुए दिखा

    बार बार प्रयास करने पर कहीं जाकर वो आम तोड पाया ।


    इस प्रसंग की ओर संकेत करके पिता ने पूछा

    यह सब देखकर तुम दोनों के मन में क्या विचार आया

    राहुल ने कहा - हमें अपने पसंद की चीज पाने के लिये बल का प्रयोग करना पडता है ।


    नेहा ने कहा - मेरे विचार से वृक्ष अपने उपर प्रहार करने वाले को भी कुछ न कुछ देता है ।


    माता ने नेहा को साधुवाद दिया , और कहा कि यह हमारे सम्‍मुख एक आदर्श है ।।

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  4. दुर्भाग्य से मुझे संस्कृत नहीं आती, लेकिन संस्कृत और संस्कृति के विद्वानों का सानिध्य पाने का सौभाग्य मिलता रहा है.
    आपका प्रयास स्तुत्य है. आपके कार्य की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है.
    एक आग्रह है कि संस्कृत के साथ हिन्दी में भी उनका अनुवाद दे.
    हाल ही में राजस्थान की सेकुलर कोंग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने संस्कृत पर कुठाराघात करते हुए उसके बजट में भारी कटौती कर दी है और उर्दू के बजट में भारी वृद्धि की है. पहले आयुर्वेद में डॉक्टरी के लिए १२वी कक्षा में संस्कृत अनिवार्य था, लेकिन अब संकृत की बजाय बायोलोजी को लागू कर दिया है. यानी हर तरह से संकृत को नष्ट करने के सेकुलर प्रयास जारी है. कृपया ऐसी खबरों को स्थान देकर संस्कृत के बारे में आम जन को जागरुक करने की महती आवश्यकता है.

    आपके सुन्दर ब्लॉग और सामग्री के लिए धन्यवाद. प्रयास जारी रखे..

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