1- शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे
साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ।। (हितोपदेश)
2- एकवर्णं यथा दुग्धं भिन्नवर्णासु धेनुषु |
तथैव धर्मवैचित्र्यं तत्त्वमेकं परं स्मॄतम् ।।
3- सर्वं परवशं दु:खं सर्वम् आत्मवशं सुखम् |
एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदु:खयो: ।।
एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदु:खयो: ।।
4- अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् |
अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम् ।।
अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम् ।।
5- आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम् |
सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति ।।
सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति ।।
6- नीरक्षीरविवेके हंस आलस्यम् त्वम् एव तनुषे चेत् |
विश्वस्मिन् अधुना अन्य: कुलव्रतं पालयिष्यति क: ।।
7- पापं प्रज्ञा नाशयति क्रियमाणं पुन: पुन: |विश्वस्मिन् अधुना अन्य: कुलव्रतं पालयिष्यति क: ।।
नष्टप्रज्ञ: पापमेव नित्यमारभते नर: ।। ( विदुरनीति )
8- अल्पानामपि वस्तूनां संहति: कार्यसाधिका
तॄणैर्गुणत्वमापन्नैर् बध्यन्ते मत्तदन्तिन: ।।
एतानि सुभाषितानि श्रीरामदास वर्येण संकलितानि सन्ति । तेन एतेषां सुभाषितानां हिन्दीअर्थ: अपि दत्त: अस्ति यत् टिप्पणीपेटिकायां प्रकाश्यते ।।
4 टिप्पणियाँ
1- हर एक पर्वतपर माणिक नहीं होते, , हर एक हाथी में मोती नहीं मिलते |साधु
जवाब देंहटाएंसर्वत्र नहीं होते , हर एक वनमें चंदन नहीं होता | दुनिया में अच्छी
चीजें बडी तादात में नहीं मिलती |
2- जिस प्रकार विविध रंग की गाय एकही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार
विविध धर्मपंथ एकही तत्त्व की सीख देते है
3- जो चीजें अपने अधिकार में नही है वह सब दु:ख है तथा जो चीज अपने अधिकार
में है वह सब सुख है | संक्षेप में सुख और दु:ख के यह लक्षण है |
4- आलसी मनुष्य को ज्ञान कैसे प्राप्त होगा ? यदि ज्ञान नही तो धन नही मिलेगा |
यदि धन नही है तो अपना मित्र कौन बनेगा ? और मित्र नही तो सुख का अनुभव
कैसे मिलेगा?
5- जिस प्रकार आकाश से गिरा जल विविध नदियों के माध्यम से अंतिमत: सागर से
जा मिलता है उसी प्रकार सभी देवताओं को किया हुवा नमन एक ही परमेश्वर को
प्राप्त होता है |
6- अरे हंस यदि तुम ही पानी तथा दूध भिन्न करना छोड दोगे तो दूसरा कौन
तूम्हारा यह कुलव्रत का पालन कर सकता है ? यदि बुद्धिमान तथा कुशल मनुष्य
ही अपना कर्तव्य करना छोड दे तो दूसरा कौन वह काम कर सकता है ?
7- बार बार पाप करनेसे मनुष्य की विवेकबुद्धी नष्ट होती है और जिसकी
विवेकबुद्धी नष्ट हो चुकी हो , ऐसी व्यक्ति हमेशा पाप ही करती है |
8- छोटी¬-छोटी वस्तूए एकत्र करनेसे बडे काम भी हो सकते हैं| घास से बनायी
हुर्इ डोरी से मत्त हाथी बाधा जा सकता है|
आदरणीय रामदास जी
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर सुभाषित सुक्तियाँ प्रेषित करने हेतु धन्यवाद ।
क्या पहला सुभाषित चाणक्य का लिखा नहीं है?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर! अति उत्तम कोटि के सुभाषित हैं.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.