यह ईशावास्योपनिषद् का प्रथम मन्त्र है । ईशावास्योपनिषद् सभी उपनिषदों में प्रधान माना जाता है । यह शुक्ल यजुर्वेद की काण्व शाखा का 40 वाँ अध्याय है ।
इस उपनिषद् में कुल 18 मन्त्र मात्र हैं किन्तु इन 18हों श्लोकों का महत्व श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों जितना माना जाता है ।
संजीव जी उपनिषदों का पावन प्रारम्भ करने हेतु धन्यवाद ।।
--समस्त कर्म, धर्म व व्यवहारिक क्रियात्मकता का सर्वश्रेष्ठ वक्तव्य एवं भारतीय सनातन संस्क्रिति का विश्वमानव जाति को मूल संदेश है... --इस संसार में जो कुछ भी द्रश्य व अद्र्श्य जगत है, वस्तु, विचार आदि सब कुछ--वह ईश्वर की माया से आच्छादित है( ईश्वर के वश में)--इसे त्याग-भाव से भोगना चाहिये, किसी के भी धन(स्वत्व व भौतिक धन-मनसा वाचा कर्मणा) का लालच-अपहरण नहीं करना चाहिये...
मेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद ! क्षमा करें मैं संस्कृत में लिखने में पारंगत नहीं ! कभी संभव हुआ तो अवश्य कोशिश करुंगा ! परंतु आप का प्रयास उल्लेखनीय है !
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अर्थात् -"इस दृष्टिगत संसार मेँ सभी कुछ ईश्वर का है। प्रत्येक वस्तु का त्यागपूर्वक भोग करना चाहिए। किसी के धन का लोभ नहीँ करना चाहिए।"
जवाब देंहटाएंयह ईशावास्योपनिषद् का प्रथम मन्त्र है ।
जवाब देंहटाएंईशावास्योपनिषद् सभी उपनिषदों में प्रधान माना जाता है ।
यह शुक्ल यजुर्वेद की काण्व शाखा का 40 वाँ अध्याय है ।
इस उपनिषद् में कुल 18 मन्त्र मात्र हैं किन्तु इन 18हों श्लोकों का महत्व श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों जितना माना जाता है ।
संजीव जी
उपनिषदों का पावन प्रारम्भ करने हेतु धन्यवाद ।।
--समस्त कर्म, धर्म व व्यवहारिक क्रियात्मकता का सर्वश्रेष्ठ वक्तव्य एवं भारतीय सनातन संस्क्रिति का विश्वमानव जाति को मूल संदेश है...
जवाब देंहटाएं--इस संसार में जो कुछ भी द्रश्य व अद्र्श्य जगत है, वस्तु, विचार आदि सब कुछ--वह ईश्वर की माया से आच्छादित है( ईश्वर के वश में)--इसे त्याग-भाव से भोगना चाहिये, किसी के भी धन(स्वत्व व भौतिक धन-मनसा वाचा कर्मणा) का लालच-अपहरण नहीं करना चाहिये...
मेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद ! क्षमा करें मैं संस्कृत में लिखने में पारंगत नहीं ! कभी संभव हुआ तो अवश्य कोशिश करुंगा ! परंतु आप का प्रयास उल्लेखनीय है !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद ! क्षमा करें मैं संस्कृत में लिखने में पारंगत नहीं ! कभी संभव हुआ तो अवश्य कोशिश करुंगा ! परंतु आप का प्रयास उल्लेखनीय है !
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