मित्राणि
गतलेखे व्यंजनसन्धि: तस्य भेदानां विषये च पठितवन्त: वयम् । सम्प्रति वैदिकविसर्गसन्धि: तस्य भेदा: च ज्ञास्याम: वयम् । वैदिक व्यंजनसन्धि: कतिधा । तस्य भेदा: च के के इति
विसर्गसन्धि: यथा लौकिकं भवति तथैव वैदिकमपि किन्तु अस्य भेदा: भिन्ना: भवन्ति । वैदिकविसर्गसन्धे: प्रायश: 14 भेदा: सन्ति ।
एते भेदा: क्रमश: निम्नोक्ता: सन्ति -
1- पदवृत्तिसन्धि:
. 2- उद्ग्राहसन्धि:
3- नियत सन्धि:
4- प्रश्रित सन्धि:
5- रेफसन्धि:
6- अकामसन्धि:
7- व्यापन्नसन्धि:
8- अन्वक्षरवक्त्रसन्धि:
9- अव्यापत्तिसन्धि:
10- उपाचरितसनि्घ:
एते सन्ति मुख्य भेदा: । एतेषाम् अतिरिक्तमपि केचन भेदा: सन्ति निम्नोक्ता: ।
11- नकार-विकार:
12- स्पर्शरेफसन्धि:
13- स्पर्शोष्मरेफसन्धि:
14- शौद्धाक्षरसन्धि:
एते सन्ति विसर्ग:सन्धे: भेदोपभेदा: । अग्रिम लेखे त्रय: सन्धय: तेषां भेदानां च क्रमश: व्याख्या: पठिष्याम: । तावत् नमो नम:
संस्कृतजगत्
महानुभाव नमस्कार !
जवाब देंहटाएंव्याकरण के ज्ञान के साथ-साथ सुगम संगीत का आनंद .......धन्यवाद !
यदि इन गानों के स्थान पर संस्कृत के गीत या सामवेद का गान प्रस्तुत किया जा सके तो और अच्छा लगेगा .
क्षमा करें बन्धु
जवाब देंहटाएंआपका निर्देश निश्चय ही अनुकरणीय है किन्तु सामवेद अथवा संस्कृत के इण्टरनेट रेडियो चैनल उपलब्ध न होने के कारण यहाँ पुराने हिन्दी गीतों का रेडियो चैनल रखा गया है ।
आपके सुझाव के लिये धन्यवाद
जैसे ही हमें कोई आनलाइन संस्कृतरेडियो चैनल मिलता है हम यहाँ उसे अवश्य प्रस्तुत करेंगे ।