अर्थवाद: प्रस्तुतकर्ता SANSKRITJAGAT को मई 25, 2013 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप यागनिषिध्दवस्तूनां निन्दा, यागोपयोगीवस्तुनां च प्रशंसा एव अर्थवाद: कथ्यते । --> टिप्पणियाँ
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