(द्विकर्मक धातुएं)
1. दुह्
अजापालः अजां दुग्धं दोग्धि = गड़रिया बकरी का
दूध दुहता है।
गां दुग्धं अधुक्षत् गोपः = गोपालक ने गाय का
दूध दुहा।
वेत्ता शास्त्रं सारं दुह्यात् = विद्वान्
शास्त्र से सार निकाले।
अग्निवाय्वादित्याङ्गिराः ईश्वरं वेदान् दुदुहुः
= अग्नि, वायु, आदित्य, अंगिरा ने ईश्वर से वेदों को प्राप्त किया।
भ्रष्टाचारिणः शासकाः प्रजां धनं धोक्ष्यन्ति =
भ्रष्टाचारी शासक प्रजा के धन का दोहन (शोषण) करेंगे।
ऐश्वर्यप्रियाः पृथिवीं रत्नानि दोग्धारः = ऐय्याश लोग धरती से
रत्नों को निकालेंगे।
रुग्णां गां दुग्धं मा दोग्धु = बीमार गाय का
दूध मत निकालो।
2. याच्
सः सर्वकारं भूमिं याचति = वह सरकार से भूमि
मांगता है।
अहं मित्रं लक्षरुप्यकाणि अयाचिषम् = मैंने
मित्र से एक लाख रुपए मांगे।
पीडिता प्रजा दयालुं दयां याचिष्यति = दुःखी
प्रजा दयालु ईश्वर से दया मांगेगी।
दुःखिणः न्यायालयं न्यायं याचेयुः = दुःखी लोग
न्यायालय से न्याय की मांग करें।
सर्वदं प्रभुं किं याचे ? = सबकुछ
के दाता ईश्वर से मैं क्या मांगूं ?
ईश्वरं मेधां याचतु = ईश्वर से मेधाबुद्धि की
याचना करो।
ययातिः पुत्रान् यौवनं ययाच = ययाति ने पुत्रों
से यौवन मांगा।
3. भिक्ष
पुरा ब्रह्मचारिणः गृहस्थं भिक्षां याचते स्म =
प्राचीनकाल में ब्रह्मचारी गृहस्थियों से भिक्षा मांगतेे थे।
वधूः श्वश्रूं दयां अभिक्षिष्ट = बहू ने सास से
दया की भीख मांगी।
कौत्सः दिलीपं धनं बिभिक्षे = कौत्स ने दिलीप से
धन मांगा।
भिक्षुकः यात्रिणं रुप्यकं बिक्षिष्यते = भिखारी
यात्रियों से रुपए की भीख मांगेगा।
संन्यासी सम्पन्नान् भिक्षां भिक्षेत = सन्यासी
सम्पन्न लोगों से भिक्षा मांगे।
विदुषः परामर्शं भिक्षताम् = विद्वानों से सलाह
मांगो।
4. पच्
त्वं गोधूमान् संयावं पचसि = तू गेहूं का हलुआ
पका रहा / रही है।
युवां गृ´्जनानि संयावं पचतम् =
तुम दोनों गाजर का हलुआ पकाओ।
यूयम् अलाबूं संयावम् अपाक्त = तुम सब ने लौकी
का हलुआ पकाया।
अहं मुद्गान् संयावं पक्ष्यामि = मैं मूंग का
हलुआ पकाऊंगा / पकाऊंगी।
आवां चणकचूर्णं संयावं पचेव = हम दोनों को बेसन
का हलुआ पकाना चाहिए।
वयं कटिजान् पायसं पक्तास्मः = हम सब मक्के की
खीर पकाएंगे।
सा पीयूषं पैयूषम् अपचत् = उस लड़की ने सद्यः
ब्याही गाय के दूध से खीस पकाया।
ते दुग्धं किलाटं पचेते = वे दोनों लड़कियां दूध
से खोया बना रहीं हैं।
ताः आमलकानि मिष्टपाकं पचन्ताम् = वे सब महिलाएं
आंवले का मुरब्बा बनाएं।
एषा चणकचूर्णं चित्रापूपान् पक्ष्यते = यह
बालिका बेसन के चीले पकाएगी।
एते गोधूमचूणम् अङ्गारकर्कटीः पचेयाताम् = ये
दोनों बालिकाएं गेहूं के आटे की बाटियां पकाएं।
एताः तण्डूलचूर्णं पर्पटीः अपचन्त = इन सब
बालिकाओं ने चावल के आटे के पापड़ बनाए।
5. दण्ड
मनुः चौरं हस्तच्छेदं दण्डयति = मनुराजा चोर के
हाथ काटने का दण्ड देता है।
यत्र प्राकृतं जनं रुप्यकं दण्डयेत् राजानं तत्र
सहस्रगुणं दण्डयेत् = जिस अपराध के लिए प्रजा को एक रुपए से दण्डित किया जाए उसी
अपराध के लिए राजा को हजारगुणा दण्ड प्रावधान होवे।
व्यभिचारिणीं श्वखादनं दण्डयतु = व्यभिचारिणी
महिला को कुत्तों से नुचवाओ।
व्यभिचारिणं तप्तायसशयनं दण्डयिष्यति = (राजा)
व्यभिचारी पुरुष को गरम लोहे के पलंग पर सुलाके मारने का दण्ड देगा।
देशद्रोहिणं सर्ववेदसम् अदण्डयत् = (न्यायाधीश
ने) देशद्रोही का सर्वस्व छीन लेने का दण्ड दिया।
गुरुद्रोहिणं मृत्युदण्डम् अदिदण्डत् =
गुरुद्रोही को मृत्युदण्ड दिया।
6. रुध्
गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों
को गोशाला में रोकता है।
अश्वशालिकः अश्वान् मदुराम् अवारुणत् =
घुड़साल-सेवक घोड़ों को घुडसाल में रोकता है।
सैनिकाः शत्रून् सीमाम् अरुधन् = सैनिकों ने
शत्रुओं को सीमा पर रोक दिया।
रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं रुन्ध्युः =
पुलिस अपहरणकर्ता को हवाईअड्डे पर रोक देवे।
वायुः वृष्टिं अन्तरिक्षम् अवरोत्स्यति = हवा का
बहाव बारिश को आकाश में रोक देगा।
7. प्रच्छ्
पिता पुत्रं प्रश्नं पृच्छति = पिता पुत्र से
प्रश्न करता है।
माला मोहनं क्षेमकुशलं अप्राक्षीत् = माला ने
मोहन से कुशल-मंगल पूछा।
गुरुं धर्मं पृच्छेत् = गुरु से धर्म के विषय
में पूछे।
विवाहकांङ्क्षिणी सुता मातरं गृहस्थधर्मं
प्रक्ष्यति = विवाह की इच्छुक पुत्री माता से गृहस्थ के कर्त्तव्यों को पूछेगी।
पान्थं पन्थानं पृच्छतु = पथिक से रास्ता पूछो।
8. चि
पादपान् पुष्पाणि चिनोति = (माली) पौधों से
फूलों को चुनता है।
होलिकापर्वी किंशुकं किंशुकानि अचैषीत् = होली
मनानेवाले ने ढाक से टेसू को चुना था।
मञ्जुला मल्लिकां मञ्जुलानि कुसुमानि चेष्यति = मंजुला मल्लिका
के सुन्दर फूलों को तोड़ेगी।
रावणः सीतां लङ्कां जहार = रावण सीता को लंका
में ले गया।
पिष्टिका मां हस्तशकटं हरिष्यति =
कचौरी मुझे ठेले पर ले जाएगी।
श्येनः शशकं आकाशं अहार्षीत् = बाज
खरगोश को आकाश में ले गया।
त्रिकोणिकाः तरुणान् पान्थशालां
हरन्ति = समोसे युवकों को होटल में ले जा रहे हैं।
16. कृष्
कबड्डीस्पर्धकः प्रतिस्पर्धिणं
सीमारेखां कर्षति = कबड्डी खिलाडी प्रतिस्पर्धी को सीमारेखा की ओर खींचता है।
पतिः पत्नीं गृहमकार्क्षीत् = पती
पत्नी को घर खींच ले गया।
व्याधः हरिणं ग्रामं कर्क्ष्यति =
शिकारी हिरण को गांव खींच ले जाएगा।
क्रेनयानं विकृतं शकटं नगरं कर्षतु =
क्रेन बिगडी गाडी को नगर खेंच कर ले आवे।
17. वह्
बलिवर्दः धान्यं पुरं वहति = बैल धान
को शहर तक ढोता है।
जन्या जनीं पतिं वक्ष्यति = दूल्हे की
सखी दूल्हन को पति तक ले जाएगी।
नदी नावं समुद्रं अवहत् = नदी नाव को
समुद्र तक ले गई।
नालिः वृष्टिजलं समुद्रं वहेत् = नाली
वर्षाजल को समुद्र तक ले जावे।
नौः यात्रिणं नदीपारं वहतु = नाव
यात्रियों को नदीपार ले जावे।
अनुवादिका: आचार्या शीतल (प्रधानाचार्या, आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन, रोजड़, गुजरात)
भूतपूर्व - आचार्या, आर्ष शोध संस्थान, कन्या गुरुकुल अलियाबाद, आन्ध्रप्रदेश, आर्यावर्त्त)
टंकन प्रस्तुति: ब्रह्मचारी अरुणकुमार "आर्यवीर" (आर्यवीर प्रकाशन, मुम्बई, महाराष्ट्र, आर्यावर्त्त)इति
धातु क्रमांक९ से १५ तक नही आये। कृपया वे भी भेजेँ
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