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संस्‍कृतप्रशिक्षणकक्ष्‍या - दशमो अभ्‍यास: ।


प्रार्थनां कुर्म:

पठामि संस्‍कृतं नित्‍यं वदामि संस्‍कृतं सदा
ध्‍यायामि संस्‍कृतं सम्‍यक वन्‍दे संस्‍कृतमातरम् ।

संस्‍कृतस्‍य प्रसाराय नैजं सर्वं ददाम्‍यहम्
संस्‍कृतस्‍य सदा भक्‍तौ वन्‍दे संस्‍कृतमातरम् ।

संस्‍कृतस्‍य कृते जीवन संस्‍कृतस्‍य कृते यजन
आत्‍मानमाहुतं मन्‍ये वन्‍दे संस्‍कृतमातरम् ।


पूर्वतनपाठ्यबिन्‍दूनाम् अभ्‍यासं कुर्म: ।

एष: राम: 
एष: दशरथ: ।
राम: दशरथस्‍य पुत्र: ।

एषा लेखनी ।
एष: बालक: ।
एषा बालकस्‍य लेखनी ।

एतत् कमलपुष्‍पं ।
एतत् पत्रम्  ।
एतत् कमलपुष्‍पस्‍य पत्रम् ।

अग्रे चलाम:

एष: शिशु: - यह शिशु है ।
एष: गर्त: - यह गड्ढा है ।
शिशु: गर्ते प‍तति - शिशु गड्ढे में गिरता है ।

एतानि वस्‍तूनि - ये वस्‍तुएँ हैं ।
एष: स्‍यूत: - यह झोला है ।
वस्‍तूनि स्‍यूते अस्ति - वस्‍तुएँ झोले में हैं ।

स: आनन्‍द: - वह आनन्‍द है ।
एष: प्रकोष्‍ठ: - यह कमरा है ।
आनन्‍द: प्रकोष्‍ठे वसति - आनन्‍द कमरे में रहता है ।

इत्‍येतावत् अलम्

गृहकार्यं


  शान्तिमन्‍त्रं वदाम:


सर्वे भवन्‍तु सुखिन: सर्वे सन्‍तु निरामय:
सर्वे भद्राणि पश्‍यन्‍तु मा कश्चित् दु:खभाग भवेत् ।।


नमो नम:

भवदीय: - आनन्‍द:

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6 टिप्पणियाँ

  1. बहुत बेहतर प्रयास
    तो आप भी लखनऊ में हैं
    जानकर अच्छा लगा

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  2. बहुत अच्छा लगा मित्र ! संस्कृत के प्रति आपका यह समर्पण देखकर सुखद अनुभूति हुई . नयामोर्चा पर आपके निमंत्रण को मैंने तत्क्षण स्वीकार कर लिया है.कभी तसल्ली से आपका ब्लॉग पढूंगा .असली प्रतिक्रिया तब होगी. प्रार्थना बहुत अच्छी लगी.
    --सुनील अमर (पत्रकार-लेखक 09235728753 )

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  3. सुंदर प्रयास देववाणी संस्कृत के लिए।

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  4. अंतरजाल के गुरुओं के बारे में जानकारी देने और संस्कृत भाषा के विकास में शामिल होने का आमंत्रण हेतु धन्यवाद

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