पुनर्धनाढ्यः पुनरेव भोगी !! प्रस्तुतकर्ता SANSKRITJAGAT को अगस्त 16, 2010 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप सुपात्र दानाच्च भवेध्दनाढ्यो, धनप्रभावेण करोति पुण्यम ! पुण्यप्रभावात्सुर लोकवासी, पुनर्धनाढ्यः पुनरेव भोगी !! टिप्पणियाँ
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