क्षपणक कथांश

शीलं शौचं क्षान्तिर्दाक्षिण्यं मधुरता कुले जन्म. 
न विराजन्ति हि सर्वे वित्तविहीनस्य पुरुषस्य. 

अन्वय: 
शीलं, शौचं, क्षान्तिः, दाक्षिण्यं, मधुरता, कुले जन्म च (एते) सर्वे हि वित्तविहीनस्य पुरुषस्य न विराजन्ति. 

टिप्पणियाँ

  1. शील, शुचिता, क्षमा, उदारता, मधुरभाषिता, उत्तम कुल में जन्म — ये सभी गुण निर्धन पुरुष को शोभा नहीं देते. अर्थात निर्धन मनुष्य में इनकी कोई मान्यता नहीं.
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    यदि कोई स्वयं को निर्धन [अभावग्रस्त] मानता है तो उसे उपर्युक्त गुणों की कोई आवश्यकता नहीं. उसका शुचितावादी सोच लेकर जीना व्यर्थ है.

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  2. सत्‍य का बोध कराती सूक्ति
    उत्‍तम प्रस्‍तुति के लिये बधाई

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