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श्रीमद्भगवद्गीता- केचन् श्‍लोका: शारदा महोदयया प्रेषिता: ।।



श्रीमदभगवतगीता-श्रीकृष्ण उवाच:

1-  वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोपराणि, 
     तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्याति संयाति नवानि देहि ।



2-  स्थित्प्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव ,
     स्थितधी: किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किं ?




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1 टिप्पणियाँ

  1. शारदा महोदयया प्रेषितौ एतौ द्वौ श्‍लोकौ

    द्वितीयश्‍लोकस्‍य आंग्‍लाभाषायाम् अर्थ: अपि तया एव कृता

    अर्जुन ने कृष्ण से पूछा-
    हे कृष्ण !
    What is the definition of a God realized saul-stable of mind and estaablished in samadhi (perfect tranquility of mind)?, How does the man of stable mind speak, how does he sit, how does he walk?

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