मुखं व्याकरणम् । प्रस्तुतकर्ता SANSKRITJAGAT को फ़रवरी 14, 2014 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप मुखं व्याकरणं तस्य ज्योतिषं नेत्रमुच्यते । निरुक्तं श्रोत्रमुदि्दष्टं छन्दसां विचितः पदे ।। शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य हस्तौ कल्पान् प्रचक्षते । टिप्पणियाँ Kailash Sharma15 फ़रवरी 2014 को 10:25 pm बजेबहुत सुन्दर...जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएं