यजे: कर्मण: करणसंज्ञा.... - चतुर्थी विभक्ति: ।। प्रस्तुतकर्ता SANSKRITJAGAT को सितंबर 09, 2015 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप यजे: कर्मण: करणसंज्ञा सम्प्रदानस्य च कर्मसंज्ञा यज् धातुप्रयोगे एकस्मिन् वाक्ये एव यदि कर्म, सम्प्रदान उभौ च भवत: चेत् कर्मण: करणसंज्ञा भवति, सम्प्रदानस्य च करणसंज्ञा इति भवति । यथा - पशुना रुद्रं यजते । इति टिप्पणियाँ Govind sahay jaimini21 फ़रवरी 2018 को 4:33 pm बजेबहुत अच्छे सर जीजवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें
बहुत अच्छे सर जी
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