सूत्रम् - क्लृपिसंपद्यमाने च (वार्तिकम्)
क्लृपि धातु:, तस्य सामानार्थिधातूनां च (फलप्राप्ति: अर्थे, सम्पूरणार्थे, उत्पत्ति-अर्थे च ) परिणामे चतुर्थी विभक्ति: भवति ।
इत्युक्ते
यदि कंचित् कार्यं कस्यचिदन्यस्य परिणामस्य प्राप्तिनिमित्तं क्रियते चेत् तस्मिन् परिणामे चतुर्थी विभक्ति: भवति ।
हिन्दी - क्लृपि धातु तथा उसकी अन्य समानार्थी धातुओं का तात्पर्य जब फल निकलना, पूरा होना अथवा उत्पन्न होना हो तो परिणाम में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है । अर्थात् यदि कोई कार्य किसी अन्य परिणाम की प्राप्ति के लिये किया जाए तो उस परिणाम में चतुर्थी विभक्ति होती है ।
उदाहरणम् -
भक्ति: ज्ञानाय कल्पते, सम्पद्यते, जायते ।
भक्ति ज्ञान के लिये होती है (भक्ति से ज्ञान की प्राप्ति होती है )
इति
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