सूत्रम् - क्रियार्थोपपदस्य च कर्मणि स्थानिन: ।।
क्रियार्थ क्रिया यस्योपपदे भवति, तत्र च तुमुनर्थक्रियाया: प्रयोग: न भवति चेत् तुमुन्नन्ताप्रयुज्यमानक्रियाया: कर्मणि चतुर्थी विभक्ति: भवति ।
संक्षेपेण - तुमुन् प्रत्ययान्तधातो: प्रयोग: परोक्षे सति तस्य कर्मणि चतुर्थीविभक्ति: भवति ।
हिन्दी - क्रियार्थ किया जिसके उपपद में हो तथा उस तुमुन् अर्थ की क्रिया का प्रयोग न हो तो तुमुन्नन्त अप्रयुज्यमान क्रिया के कर्म में चतुर्थी विभक्ति होती है । संक्षेप में - जब तुमुन् प्रत्ययान्त धातु का प्रयोग परोक्ष रहे तो उसके कर्म में चतुर्थी विभक्ति होती है ।
उदाहरणम् -
फलेभ्यो याति (फलानि आनेतुं याति ) ।
फलों को लाने के लिए जाता है ।
नमस्कुर्मो नृसिंहाय (नृसिंहमनुकूलयितुं नमस्कुर्म:) ।
नृसिंह को अनुकूल करने के लिए हम लोग नमस्कार करते हैं ।
इति
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