विभाषोपसर्गे - षष्‍ठी विभक्ति: ।।


सूत्रम् - विभाषोपसर्गे ।। 2/3/59 ।।

उपसर्ग सहितं दिव् धातु: यदि द्यूतार्थे उत क्रयणं-विक्रयणार्थे भवति चेत् दिव् इत्‍यस्‍य कर्मणि षष्‍ठी विभक्ति: विकल्‍पेन भवति ।

उदाहरणम् - 
शतस्‍य शतं वा प्रतिदीव्‍यति - सौ रूपये दांव पर लगाता है अथवा सौ रूपये का लेन देन करता है । 

हिन्‍दी - 
उपसर्ग सहित दिव् धातु यदि द्यूत अथवा क्रय विक्रय अर्थ में प्रयुक्‍त होती है तो दिव् धातु के कर्म में विकल्‍प से षष्‍ठी विभक्ति होगी ।

इति

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