प्रेष्य, ब्रूहि च शब्दयो: कर्म यदा हविष्यवाचकं स्यात् अथ च देवस्य कृते देय: भवतु चेत् हवि-वाचक शब्देन सह षष्ठी विभक्ति: भवति ।
उदाहरणम् -
अग्नये छागस्य हविषो वपाया मेदस: प्रेष्य अनुब्रहि वा - अग्नि देवता के लिये छाग की वपा और मेदस् रूप हवि को प्रेषित करो या समर्पित करो ।।
हिन्दी -
प्रेष्य तथा ब्रूहि शब्दों के कर्म यदि हविष्यवाचक हों और देवता के लिये हविष्य देय हो तो हवि-वाचक शब्द से षष्ठी विभक्ति होती है ।
इति
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