प्रत्याहारसंज्ञासूत्रम् ।।


प्रत्याहारसंज्ञा


आदिरन्त्येन सहेता ।।०१⁄०१⁄७१।।
अन्त्येनेता सहित आदिर्मध्यगानां स्वस्य च संज्ञा स्यात् ।
यथा ʺअण्ʺ इति ʺअ इ उʺ वर्णानां संज्ञा । एवम् – अच्‚ अल्‚ हलित्यादयः ।

अर्थ – अन्तिम इत्संज्ञक वर्ण से युक्त आदि वर्ण‚ बीच के सभी वर्णों के साथ ही अपनी भी संज्ञा का बोध कराता है ।

व्याख्या – प्रत्याहार संज्ञा प्रत्याहार बनाने के नियम का निर्देश करती है । प्रत्याहार बनाने के सामान्य नियम यहाँ विस्तार से बताए जा रहे हैं । बताई गई विधि का अनुसरण करने पर पल भर में प्रत्याहार बनाना व पहचानना सीखा जा सकता है ।

प्रत्याहार क्या हैं ॽ 
प्रत्याहार वर्णों के संक्षेप को कहते हैं । जिस तरह हम इण्डियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के स्थान पर आईएएस कहकर‚ अथवा भारतीय जनता पार्टी के स्थान पर भाजपा कहकर काम चलाते हैं उसी प्रकार व्याकरण–सूत्रों में कई सारे वर्णों को ज्ञापित करने के लिये उनका संक्षेप करके मात्र दो वर्णों की संज्ञा दे दी जाती है । इस तरह हम उक्त दो वर्णों के शब्द को कहने मात्र से ही तत्सम्बन्धित वर्ण समुदाय को समझ जाते हैं । उदाहरण – अच् कहने मात्र से हमें अ‚ इ‚ उ‚ ऋ‚ लृ‚ ए‚ ऐ‚ ओ तथा औ (सारे स्वर वर्णों) का ज्ञान हो जाता है‚ इसी तरह हल् कहने से सभी व्यंजनवर्णों का ज्ञान हो जाता है ।

प्रत्याहार कैसे बनाएँ ॽ
प्रत्याहार बनाना अत्यन्त सरल कार्य है । इसके लिये आपको माहेश्वर सूत्रों का ज्ञान होना चाहिए‚ साथ ही माहेश्वर सूत्र कण्ठस्थ भी होने चाहिए ।

 ।। १. अइउण् । 2. ऋलृक् । 3. एओङ् । 4. ऐऔच् । 5. हयवरट् । 6.लण् । 7. ञमङणनम् । 8. झभञ् । 9. घढधष् । 10. जबगडदश् । 11. खफछठथचटतव् । 12. कपय् । 13. शषसर् । 14. हल् ।।

प्रत्याहार बनाने के नियम – 
  1. प्रत्याहार में दो ही वर्ण हो सकते हैं‚ न कम न ही अधिक ।
  2. प्रत्याहार का पहला वर्ण चौदह माहेश्वर सूत्रों में से सभी सूत्रों के अन्तिम वर्णों को छोड़कर बाकी कोई भी वर्ण हो सकता है ।
  3.  प्रत्याहार का अन्तिम वर्ण चौदहों सूत्रों में से किसी भी सूत्र का अन्तिम वर्ण होना चाहिए ।
  4. प्रत्याहार का प्रथम वर्ण जिस सूत्र से हो अन्तिम वर्ण उस सूत्र या उस सूत्र के बाद के किसी सूत्र से ही होना चाहिए । उसके पहले के सूत्रों से नहीं ।
  5. माना हमने प्रत्याहार बनाने के लिये पहले वर्ण का चयन पांचवें सूत्र से कर लिया‚ तो हमारे प्रत्याहार का अन्तिम वर्ण या तो पांचवें सूत्र का अन्तिम वर्ण होगा‚ अथवा फिर पांचवें सूत्र के बाद के किसी भी सूत्र का अन्तिम वर्ण होगा । इस तरह आप प्रत्याहार बना लेते हैं  

आइये एक नया प्रत्याहार बनाकर देखते हैं – 
मान लीजिये हमने अपने प्रत्याहार के लिये ग्यारहवें सूत्र का पहला वर्ण ʺखʺ ले लिया । अब हमें अन्तिम वर्ण का चयन ग्यारहवें या उसके बाद के सूत्र से करना है । चलिये हमने अन्तिम वर्ण का चयन तेरहवें सूत्र से ʺर्ʺ कर लिया । अब इनको साथ रख दें । ʺखर्ʺ । आपका नया प्रत्याहार है खर् प्रत्याहार ।

प्रत्याहर पहचानने के नियम – 
यदि आप प्रत्याहार बनाना सीख जाते हैं तो प्रत्याहार पहचानना नितांत ही सरल हो जाता है । यहाँ प्रत्याहार पहचानने के सामान्य नियम दिये जा रहे हैं –
  1. प्रत्याहार पहचानने के लिये पहले माहेश्वर सूत्र में हम प्रत्याहार का पहला वर्ण ढूढेंगे । ध्यान रहे पहला वर्ण पूर्ण वर्ण होना चाहिए । अर्थात् पहला वर्ण माहेश्वरसूत्रों का अन्तिम वर्ण नहीं होना चाहिए ।
  2. पहला वर्ण मिल जाने पर हम उक्त सूत्र को चिन्हित कर लें ।
  3. इसके बाद हम अपने प्रत्याहार का अन्तिम वर्ण माहेश्वर सूत्रों के अन्तिम वर्णों से मिलाएँगे । यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि हमारा पहला वर्ण जिस सूत्र में मिला था अन्तिम वर्ण उस सूत्र के बाद के ही सूत्र में मिलना चाहिए ।
  4. अब अन्तिम वर्ण जिस सूत्र में मिला उसे भी चिन्हित कर लें ।
  5. अब प्रथम वर्ण वाले सूत्र से लेकर अन्तिम वर्ण वाले सूत्रों को क्रम से लिख लें ।
  6. सभी हल् वर्णों जिनपर हल् लगा हो उन्हें काट दें । यही वर्ण आपके उक्त प्रत्याहार के वर्ण हैं ।
उदाहरण – हमने जिस खर प्रत्याहार को बनाया था‚ उसी के वर्णों को पहचानने का प्रयत्न करते हैं –
सबसे पहले माहेश्वर सूत्रों में हमने वर्ण ढूंढा जो कि हमें ग्यारहवें सूत्र के प्रारम्भ में मिला ।
फिर हमने र् वर्ण ढूंढा जो हमें तेरहवें सूत्र के अन्त में मिला ।
अब ग्यारहवें सूत्र से तेरहवें सूत्र तक क्रम से लिखेंगे –

ख फ छ ठ थ च ट त व् क प य् श ष स र्

और अब सभी हल् वाले वर्णों को काट देंगे –

ख फ छ ठ थ च ट त व् क प य् श ष स र्

इस तरह हमने खर् प्रत्याहार के वर्णों को निकाल लिया – ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स

कुछ और प्रत्याहार पहचान कर देखते हैं ।

अट् अ इ उ ण् ऋ लृ क् ए ओ ड्. ऐ औ च् ह य व र ट्    
                                            (अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह य व र)
इक् इ उ ण् ऋ लृ क्          (इ उ ऋ लृ)
शर् श ष स र्                    (श ष स)
जश् ज ब ग ड द श्           (ज ब ग ड द)

ऐसे ही कुछ और प्रत्याहार बनाएँ और उन्हें लिखकर पहचानने का प्रयत्न करें । यदि कहीं कोई असुविधा हो तो यहाँ टिप्पणीमंजूषा में पूँछ सकते हैं ।

इति

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