अष्टादशपुराणानि
मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम् ।
अनापलिङ्गकूस्कानि पुराणानि प्रचक्षते ।।
मद्वयम्
१- मत्स्य (१)
२- मार्कण्डेय (२)
भद्वयम्
१- भविष्य (३)
२- भागवत (४)
ब्रत्रयम्
१- ब्रह्म (५)
२- ब्रह्मवैवर्त (६)
३- ब्रह्माण्ड (७)
वचतुष्टयम्
१- विष्णु (८)
२- वामन (९)
३- वायु (१०)
४- वराह (११)
अ
अग्नि (१२)
ना
नारद (१३)
प
पद्म (१४)
लिं
लिङ्ग (१५)
ग
गरुड़ (१६)
कू
कूर्म (१७)
स्क
स्कन्द (१८)
एकस्मिन्नेव श्लोके अष्टादशपुराणपरिचयः
अनापलिंगकूर्माणि के स्थान पर अनापलिंगकूस्कानी आना चाहिये.
जवाब देंहटाएंअनापल्लिङ्गकूस्कानि इति भवितव्यम्।
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