मुखपृष्ठ सन्देश प्रतुल वशिष्ठ अक्तूबर 24, 2010 2 टिप्पणियां Facebook Twitter शत्रोरपि गुणा वाच्या, दोषा वाच्या गुरोरपि | Facebook Twitter
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जवाब देंहटाएंशत्रुओं के भी गुण तथा गुरुओं के भी दोष कह देना योग्य है.
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छोटी सी सूक्ति में कितनी बडी बात कह दी है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रतुल जी
इस तरह की सूक्तियाँ आगे भी भेजते रहें ।।
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