सन्देश

शत्रोरपि गुणा वाच्या, दोषा वाच्या गुरोरपि |



टिप्पणियाँ

  1. .

    शत्रुओं के भी गुण तथा गुरुओं के भी दोष कह देना योग्य है.

    .

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  2. छोटी सी सूक्ति में कितनी बडी बात कह दी है
    धन्‍यवाद प्रतुल जी

    इस तरह की सूक्तियाँ आगे भी भेजते रहें ।।

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