सन्देश प्रस्तुतकर्ता प्रतुल वशिष्ठ को अक्तूबर 24, 2010 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप शत्रोरपि गुणा वाच्या, दोषा वाच्या गुरोरपि | टिप्पणियाँ प्रतुल वशिष्ठ24 अक्तूबर 2010 को 7:22 am बजे.शत्रुओं के भी गुण तथा गुरुओं के भी दोष कह देना योग्य है..जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंSANSKRITJAGAT25 अक्तूबर 2010 को 1:10 pm बजेछोटी सी सूक्ति में कितनी बडी बात कह दी हैधन्यवाद प्रतुल जीइस तरह की सूक्तियाँ आगे भी भेजते रहें ।।जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें
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जवाब देंहटाएंशत्रुओं के भी गुण तथा गुरुओं के भी दोष कह देना योग्य है.
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छोटी सी सूक्ति में कितनी बडी बात कह दी है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रतुल जी
इस तरह की सूक्तियाँ आगे भी भेजते रहें ।।