प्ररोचना ।। प्रस्तुतकर्ता SANSKRITJAGAT को जनवरी 19, 2015 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप प्रशंसात: प्ररोचना ।। प्रशंसाद्वारा श्रोतृणां ध्यानं प्रकृत-वस्तुं प्रति आकर्षणमेव प्ररोचना अस्ति । यथा रत्नावलीनाटिकायां - ''श्रीहर्षो निपुण: कवि:, परिषदप्येषा गुणग्राहिणी । लोके हारि च वत्सराजचरितं, नाट्ये च दक्षा वयम् ।।'' इति टिप्पणियाँ
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