तृतीया विभक्ति: ।। प्रस्तुतकर्ता SANSKRITJAGAT को अगस्त 04, 2015 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप करणकारकम् साधकतमं करणम् कर्तृकरणयोस्तृतीया संज्ञोSन्यतरस्यां..... प्रकृत्यादिभ्य उपसंख्यानम् दिव: कर्म च अपवर्गे तृतीया सहयुक्तेSप्रधाने येनाड्.ग विकार: इत्थंभूतलक्षणे हेतौ अशिष्टव्यवहारे दाण: ... पृथग्विनानाभिस्तृतीया... तुल्यार्थेरतुलोपमाभ्यां तृतीया.... यजे: कर्मण: करणसंज्ञा ... इति टिप्पणियाँ Unknown29 अक्टूबर 2018 को 6:21 pm बजेHariजवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंUnknown17 दिसंबर 2018 को 11:56 am बजेHariजवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें
Hari
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