सूत्रम् - प्रत्याSभ्यां श्रुव: पूर्वस्य कर्ता
वृत्ति: - आभ्यां परस्य श्रृणोतेर्योगे पूर्वस्य प्रवर्तनरूपव्यापारस्य कर्ता सम्प्रदानं स्यात्
श्रु-धातुपूर्वं यदा प्रति, आड्. वा उपसर्गौ योजितौ स्याताम् चेत् संकल्पे संकल्पप्रेरकस्य सम्प्रदानसंज्ञा स्यात् ।
हिन्दी - श्रु धातु के पहले जब प्रति और आड्. उपसर्ग लगे हों और इसका अर्थ प्रतिज्ञा करना हो तो जो प्रतिज्ञा करने या वादा करने की प्रेरणा देने वाला हो उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है ।
उदाहरणम् -
विप्राय गां प्रतिश्रृणोति आश्रृणोति वा ।
ब्राह्मण को गाय देने का संकल्प करता है ।
इति
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