परिक्रयणे सम्प्रदानमन्यतरस्याम्
परिक्रयणार्थे सम्प्रदानसंज्ञा विकल्पेन भवति ।
नियतकालाय कस्मैचित् सेवायां धारणं मूल्येन भवतु चेत् सहायकस्य (वित्तस्य) विकल्पेन सम्प्रदानसंज्ञा अपि भवति । विकल्पेन इत्युक्ते अत्र करणसंज्ञा तु पूर्वमेव किन्तु विकल्पेन सम्प्रदानसंज्ञा अपि भवति ।
हिन्दी -
परिक्रयणे अर्थ में सम्प्रदान विकल्प से होता है ।
निश्चित काल के लिये किसी को वेतन या मजदूरी पर रखने को परिक्रयण कहते हैं, इसके जो अत्यन्त उपकारक हों उनकी विकल्प से सम्प्रदान संज्ञा होती है । विकल्प से अर्थात् परिक्रयण में करण कारक तदनुसार तृतीया पहले से ही लगी हुई है किन्तु विकल्प से करण के स्थान पर सम्प्रदान का प्रयोग भी किया जा सकता है ।
उदाहरणम् -
शतेन शताय वा परिक्रीत: ।
सौ रूपये पर रखा हुआ है ।
इति
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