सूत्रम् - अनुप्रतिगृणश्च।।
अनु, प्रति च उपसर्गपूर्वकं 'गृ' धातो: योगे पूर्वप्रवर्तनाव्यापारवाहे सम्प्रदानसंज्ञा भवति ।
हिन्दी - अनु तथा प्रति उपसर्ग पूर्वक 'गृ' (शब्द करना) धातु के योग में प्रवर्तना रूप व्यापार के करने वाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है
उदाहरणम् -
होत्रे अनुगृणाति प्रतिगृणाति वा ।
होता के पीछे बोलता है ।
इति
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