सूत्रम् - राधीक्ष्योर्यस्य विप्रश्न: ।।
शुभाशुभकथनार्थे विद्यमानौ 'राध्', 'ईक्ष्' च धातुभ्याम् प्रयोगे यस्मिन् विषये प्रश्न: कृयते स्मिन् सम्प्रदान संज्ञा भवति ।
हिन्दी - शुभाशुभ कथन अर्थ में विद्यमान राध् और ईक्ष् धातुओं के प्रयोग में जिसके विषय में प्रश्न किया जाता है उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है ।
उदाहरणम् -
कृष्णाय राध्यति ईक्षते वा गर्ग: ।
गर्ग कृष्ण के विषये में पूंछते हैं ।
इति
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