सूत्रम् - तुमर्थाच्च भाववचनात्
कस्मिंश्चिद् धातौ तुमुन् प्रत्यययोजनेन यदर्थं प्राप्यते तदर्थप्रकटनाय एव तध्धातुना निर्मितभाववाचकसंज्ञाप्रयोगे तस्मिन् चतुर्थीविभक्तिप्रयोग: कृयते ।
हिन्दी - किसी धातु से तुमुन प्रत्यय जोडने से जो अर्थ निकलता है (जैसे अत्तुम् - खाने के लिये , पातुं - पीने के लिये) उस अर्थ को प्रकट करने के लिये उसी धातु से बनी हुई भाववाचक संज्ञा का प्रयोग करने पर उसमें चतुर्थी विभक्ति योजित होती है ।
उदाहरणम् -
यागाय याति (यष्टुं याति) ।
यज्ञ के लिये जाता है ।
शयनाय गच्छति (शयितुं गच्छति) ।
सोने जाता है ।
इति
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