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अन्य, आरात्, इतर, ऋते, दिशावचकशब्दा:, येषामुत्तरं अञ्च् धातु स्यात् तेषां, आच् (आ), आहि च प्रत्ययान्तशव्दानां योगे पंचमी विभक्ति: भवति ।
हिन्दी - अन्य, आरात्, इतर, ऋते, दिशावाचक शब्द, जिस शब्द के उत्तर पद में अञ्च् धातु है, तथा आच् (आ) और आहि प्रत्ययान्त शब्दों के योग में पंचमी होती है ।
उदाहरण -
(अन्य और इतर के कारण पंचमी)
अन्यो भिन्न इतरो वा कृष्णात् ।।
कृष्ण से भिन्न ।।
(आरात् के कारण पंचमी)
आरात् वनात् ।।
वन से दूर ।।
(ऋते के कारण पंचमी)
ऋते कृष्णात् ।।
कृष्ण के बिना ।।
(दिशावाचक पूर्व के कारण पंचमी)
पूर्वो ग्रामात् ।।
गांव से पूर्व की ओर ।।
(कालवाचक पूर्व के कारण पंचमी)
चैत्रात् पूर्व: फाल्गुन:।।
चैत्र से पहले फागुन होता है ।।
(प्राक्, प्रत्यक् के योग में पंचमी)
प्राक्,प्रत्यक् वा ग्रामात्।।
गांव से पूर्व या पश्चिम की ओर ।।
(दूर के अर्थ में आहि के कारण पंचमी)
दक्षिणाहि ग्रामात् ।।
गांव से दूर दक्षिण की ओर ।।
(प्रभृति और आरभ्य के योग में भवात् में पंचमी)
भवात् प्रभृति आरभ्य वा सेव्यो हरि: ।।
जन्म से ही हरि की सेवा करनी चाहिए ।।
(बहि: के कारण पंचमी)
ग्रामाद् बहि: ।।
गांव से बाहर ।।
इति
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