मर्यादा (सीमा) अर्थे आड्. (आ) इत्यस्य कर्मप्रवचनीय संज्ञा भवति ।
हिन्दी - मर्यादा (सीमा) के अर्थ में आड्. (आ) की कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है ।
सूत्र - पंचम्यपाड्.परिभि: ।।(2/3/10)
अप, परि, आड्. (आ) इत्येतेभ्य: कर्मप्रवचनीयेभ्य: योगे पंचमीविभक्ति: भवति ।
हिन्दी - अप, परि, तथा आड्. कर्मप्रवचनीयों के योग में पंचमी विभक्ति होती है ।
उदाहरणम् -
(अप, परि में पंचमी)
अप हरे: संसार: ।
परि हरे: संसार: ।
हरि को छोडकर संसार है अर्थात् जहाँ हरि हैं वहाँ संसार का अस्तित्व नहीं है ।
(मर्यादा अर्थ में आ से पंचमी)
आमुक्ते: संसार: ।
मुक्ति तक या मुक्ति से पहले संसार है ।
(अभिविधि अर्थ में आ से पंचमी)
आसकलाद् ब्रह्म ।
ब्रह्म सर्वत्र व्याप्त है ।
इति
0 टिप्पणियाँ