अकर्तर्यृणे .... पंचमीविभक्ति: (अपादानकारकम्) ।।



सूत्रम् - अकर्तर्यृणे पंचमी ।।2-3-24।।

ऋणात्‍मकशब्‍द: यदा स्‍वयं कर्ता अभूत्‍वा अन्‍यस्‍य कार्यस्‍य कारणं भवति चेत् तेन पंचमी विभक्ति: भवति।

हिन्‍दी - ऋणवाचक शब्‍द जब स्‍वयं कर्ता न होकर किसी कार्य का कारण होता है तब उससे पंचमी विभक्ति होती है ।

उदाहरणम् - 

शताद् बद्ध: ।
सौ रूपये ऋण के कारण बंधा है ।।


इति-

टिप्पणियाँ