सूत्रम् - पंचमी विभक्ते: ।।
- ईयसुन अथवा तरप् प्रत्ययान्तविशेषणेन अथवा साधारणविशेषणेन उत क्रियया यस्मात् कस्यचित् वस्तो: तुलनात्मक-तारतम्यतां दर्शयते तस्मिन् पंचमी विभक्ति: भवति । किन्तु उभौ वस्तू भिन्न जाति, गुण, क्रिया, संज्ञां च धारयेताम् ।।
- यत्र केनचित् वस्तुना अन्यवस्तुना सह तुलना क्रियते तत्र पंचमी विभक्ति: भवति ।
- इयसुन अथवा तरप् प्रत्ययान्त विशेषण के द्वारा अथवा साधारण विशेषण या क्रिया के द्वारा जिससे किसी वस्तु की तुलनात्मक तारतम्यता दिखाई जाती है उसमें पंचमी विभक्ति होती है किन्तु दोनों वस्तुएँ भिन्न जाति, गुण, क्रिया तथा संज्ञा वाली होनी चाहिए ।
- जहाँ किसी वस्तु से किसी अन्य वस्तु की तुलना की जाती है उसमें पंचमी विभक्ति होती है ।
- मौनात् सत्यं विशिष्यते - मौन से सत्य श्रेष्ठ है ।
- माता स्वर्गादपि श्रेष्ठा भवति - माता स्वर्ग से भी श्रेष्ठ होती है ।
- गंगा यमुनाया: अति पवित्रा अस्ति - गंगा यमुना से बहुत पवित्र नदी है ।
इति
0 टिप्पणियाँ