अधीगर्थदेयेशां ... षष्‍ठी विभक्ति: ।।


सूत्रम् - अधीगर्थदयेशां कर्मणि ।। 2-3-52 ।।

अधि इ (इक् स्‍मरणे), अन्‍य-स्‍मरणार्थक धातव:, दय् (देना, दया करना), ईश् (स्‍वामी होना) धातुभ्‍य: कर्मणि सम्‍बन्‍धमात्र-विवक्षायां षष्‍ठी विभक्ति: भवति ।

उदाहरणम् -
मातु: स्‍मरणम् - माता का स्‍मरण ।
सर्पिष ईशनम् - घी का स्‍वामी होना ।
सर्पिषो दयनम् - घी का दान देना ।

हिन्‍दी -
अधि इक व अन्‍य स्‍मरण अर्थ वाली धातुएं, दय् धातु, तथा ईश् धातु के कर्म में सम्‍बन्‍ध मात्र की विवक्षा होने पर षष्‍ठी विभक्ति का प्रयोग होता है ।

इति

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