सूत्रम् – ज्ञोSविदर्थस्य करणे (०२⁄ ०३⁄ ५१) ।।
ʺज्ञाʺ धातुः यदा अविदर्थे इत्युक्ते ज्ञानार्थे न भवति‚ तदा तस्य करणे सम्बन्धस्य विवक्षायां षष्ठी विभक्तिः भवति ।
उदाहरणम् –
सर्पिषो ज्ञानम् – घृत के कारण होनेवाली प्रवृत्ति ⁄ घृतसम्बन्धी प्रवृत्ति ।
हिन्दी –
ज्ञा धातु का प्रयोग जब ज्ञान के प्रयोग में न होकर अन्य अर्थ में हो तब उसके करण में सम्बन्ध की विवक्षा होने पर षष्ठी विभक्ति होगी ।
इति
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें