स्त्रीप्रत्ययस्य 'अक', 'अ' च कृत्-प्रत्ययान्त-योगे कर्तरि, कर्मणि च षष्ठी विभक्ति: एव भवति । अयं वार्तिकं उभयप्राप्तौ... सूत्रमपवारयति ।
उदाहरणम् -
भेदिका विभित्सा वा रुद्रस्य जगत: - रुद्र के द्वारा जगत् का विनाश या जगत् के विनाश की इच्छा ।
उक्त उदाहरणे रुद्र, जगत् च द्वयोरपि षष्ठी भूत्वा रुद्रस्य, जगत: चेति अभवत् ।
हिन्दी -
स्त्रीप्रत्यय में होने वाले अक और अ कृत् प्रत्ययान्तों के साथ उभयप्राप्तौ... सूत्र का नियम नहीं लगता तदनुसार यदि कृत् प्रत्ययान्त के योग में कर्ता और कर्म दोनों में षष्ठी विभक्ति की प्राप्ति होती है ।
वार्तिकम् - शेषे विभाषा ।।
केषांचनानाम् आचार्याणां मतमस्ति यत् अक अ च प्रत्ययभिन्नस्त्रीलिंग-कृत्-प्रत्ययै: सह विकल्पेन षष्ठी विभक्ति: भवति ।
उदाहरणम् -
विचित्रा जगत: कृतिहरेर्हरिणा वा - हरि के द्वारा की गई यह जगत् की रचना विचित्र है ।
शब्दानामनुशासनमाचार्येणाचार्यस्य - आचार्य के द्वारा शब्दों का अनुशासन ।
हिन्दी -
कुछ आचार्यों का मत है कि अक और अ प्रत्यय से भिन्न स्त्रीलिंग कृत्-प्रत्ययों के योग में विकल्प से षष्ठी होती है ।
इति
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