अर्ह (योग्य) इत्यस्य कर्तृत्वज्ञापनाय, अनर्ह (अयोग्य) इत्यस्य अकर्तृत्वं ज्ञापनाय उत अस्य विपरीतकार्यं बोधितुं कर्ता, बोधकक्रिया च उभयो: सप्तमी विभक्ति: ।
उदाहरणम् -
सत्सु तरत्सु असन्त आसते - जब सज्जन तैरते हैं तब असज्जन बैठे रहते हैं
असत्सु तरत्सु सन्तस्तिष्ठन्ति - असज्जनों तैरते हैं तो सज्जन बैठे रहते हैं ।
सत्सु, तरत्सु च शब्दयों: सप्तमी विभक्ति: ।
हिन्दी -
अर्ह के कर्तृत्व व अनर्ह के अकर्तृत्व अथवा अर्ह के अकर्तृत्व तथा अनर्ह के कर्तृत्व को बतलाने में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है ।
इति
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें