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यो ध्रुवाणि परित्यज्य.......


यो ध्रुवाणि परित्यज्य‚ अध्रुवाणि निषेवते ।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति‚ अध्रुवं नष्टमेव हि ।।

जो निश्चित वस्तु को छोड़कर अनिश्चित के पीछे दौड़ता है‚ उसकी निश्चित वस्तु भी नष्ट हो जाती है; और अनिश्चित तो अनिश्चित है ही ।

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