Ticker

6/recent/ticker-posts

कौवा‚ कौवे की पत्नी और काले साँप की कथा ।

काकीकनकसूत्रसर्पकथा ।


किसी वृक्ष पर एक कौवा अपनी पत्नी के साथ रहता था । उसके बच्चों को उसी वृक्ष के कोटर में रहने वाला एक काला साँप खा जाता था । एकबार जब वह कौवी पुनः गर्भवती हुई तो उसने अपने पति से कहा - हे नाथ ǃ इस वृक्ष को छोड़ दीजिये‚ क्योंकि यह काला साँप हम दाेनों की सन्तानों को हर बार खा जाता है ।


कहा भी गया है - दुष्ट स्त्री‚ मूर्ख मित्र‚ उत्तर देने वाला सेवक और साँप वाले घर में निवास‚ ये सब साक्षात् मृत्युरूप ही है‚ इसमें सन्देह नहीं ।

दुष्टा भार्या‚ शठं मित्रं‚ भृत्यश्चोत्तरदायकः ।
ससर्पे च गृहे वासो‚ मृत्युरेव न संशयः ।।

कौवा बोला- हे प्रिये ǃ तुम डरो मत । बार-बार मैंने इस दुष्ट के बहुत से अपराध क्षमा किये हैं‚ किन्तु अब नहीं सहूँगा ।

कौवी बोली- यह सर्प बड़ा बलवान है । आप इससे कैसे लड़ सकेंगे ॽ
कौवा बोला- शंका मत करो ǃ जिसके पास बुद्धि है‚ वही सच्चा बलवान् है । निर्बुद्धि को बल कहाँ से हो सकता है ॽ

कौवी बोली- मैने आपकी सारी बात सुन ली‚ किन्तु किस उपाय से आप इसका निराकरण करेंगे ॽ

कौवा बोला- सुनो ǃ पास ही एक सरोवर है । वहाँ प्रतिदिन राजा का पुत्र नहाने आता है । नहाते समय वह अपने सारे वस्त्र और आभूषण उतारकर सीढी पर रख देता है ।

कल जब वह नहाने के लिये अपने आभूषणादि उतारे तो अवसर पाकर तुम उसका सोने का हार उठा लेना । तुम्हारे पीछे उसके सिपाही दौड़ेंगे तब तुम उस हार को इस साँप के कोटर में डाल देना ।

अगले दिन कौवे ने जैसा कहा था‚ कौवी ने वैसा ही किया । उसने राजकुमार का हार ले जाकर साँप के कोटर में डाल दिया और स्वयं पेड़ के ऊपर जा बैठी ।

हार को खोजते हुए राजपुरुष पेड़ पर जा चढे़ । वहाँ उन्हें कोटर में राजकुमार का हार रखा दिखा । जब वे उसे निकालने लगे तब उन्हें कोटर में बैठा काल साँप दिखाई दिया ।

राजकुमार का हार और काले नाग को एक ही कोटर में देखकर राजपुरुषों ने सॉंप को मार डाला और राजकुमार का हार लेकर वापस चले गये । इस तरह से अपनी चालाकी से कौवा‚ अपनी पत्नी के साथ निर्द्वन्द्व हो गया ।

इसीलिये कहा है- जिसके पास बुद्धि है उसी के पास सच्चा बल है । बुद्धिहीन के पास भला (शारीरिक बल के अतिरिक्त) कौन सा बल है ।

बुद्धिर्यस्य बलं तस्य‚ निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम् ।

हितोपदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ