Ticker

6/recent/ticker-posts

वृद्ध वैश्य और उसकी युवती पत्नी की कथा

      गौड़ देश में कौशाम्बी नाम की एक नगरी थी । वहाँ पर चन्दनदास नाम का एक धनी वैश्य रहता था । उसने बुढापे में कामातुर होकर धन के घमण्ड से लीलावती नाम की एक लड़की से विवाह कर लिया ।


कुछ समय बीतने पर वह सुन्दरी कामदेव की विजय पताका के समान युवती हो गई । उसे अपने वृद्ध पति से पूर्ण सन्तोष प्राप्त नहीं होता था; परन्तु बूढा वैश्य उस पर अत्यन्त आसक्त था ।

कहते भी हैं - वृद्ध मनुष्य न तो विषयों को भोग सकता है और न ही उन्हें छोड़ पाता है अपितु जिस प्रकार दाँत से रहित कुत्ता हड्डी को केवल जीभ से चाटता रहता है‚ उसे चबा नहीं पाता‚ वही दशा बूढे मनुष्य की भी होती है ।

नोपभोक्तुं‚ न च त्यक्तुं शक्नोति विषयान् जरी ।
अस्थि निर्दशनः श्वेव जिह्वया लेढि केवलम् ।।

कुछ समय तक तो लीलावती ने कुल की मर्यादा के कारण लज्जा बचाये रखा किन्तु कुछ समय के बाद जवानी के मद के कारण कुल की मर्यादा का उल्लंघन करके एक बनिये के लड़के से सम्बन्ध बन गया ।

एक दिन लीलावती अपने सुंदर पलंग पर अपने यार के साथ बैठी सुखपूर्वक बातचीत कर रही थी तभी एकाएक उसने अपने वृद्ध पति को आते हुए देखा । अचानक से पति को आया हुआ देखकर लीलावती असहज हो गई । उसे लगा कि अब उसके और उसके प्रेमी के प्राण संकट में पड़ने वाले हैं ।

तभी उसे उपाय सूझा । वह उठकर तुरंत ही अपने पति से लिपट गई और उसका चुंबन लेने लगी । इसी बीच मौका पाकर उसका प्रेमी भाग गया ।

इसीलिये कहते हैं - यदि अचानक से पत्नी अपने पति के बालों को पकड़कर‚ उसका आलिंगन करके उसका मुख चूमने लगे तो इसमें जरूर ही कोई कारण छुपा होगा ।

अकस्माद्‍युवती वृद्धं केशेष्वाकृष्य चुम्बति ।
पतिं निर्दयमालिंग्य‚ हेतुरत्र भविष्यति ।।

हितोपदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ