नम: स्‍वस्तिस्‍वाहा ...... - चतुर्थी विभक्ति: ।।



सूत्रम् -
नम: स्‍वस्तिस्‍वाहास्‍वधाSलंवषड्योगाच्‍च ।।

नम:, स्‍वस्ति, स्‍वाहा, स्‍वधा, अलं, वषट् च शब्‍दानां योगे चतुर्थी विभक्ति: भवति ।

हिन्‍दी - नम: (नमस्‍कार), स्‍वस्ति (कल्‍याण), स्‍वाहा (हवि कर्म), स्‍वधा (पितर तर्पण), अलम् (पर्याप्‍त), वषट् (वषट्कार) शब्‍दों के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है ।

उदाहरणम् -
नारायणाय नम: ।
नारायण को नमस्‍कार है । 
प्रजाभ्‍य: स्‍वस्ति । 
प्रजाओं का कल्‍याण हो । 
अग्‍नये स्‍वाहा । 
अग्नि के लिये हवि प्रदान । 
इन्‍द्राय वषट् । 
इन्‍द्र के लिये वषट्कार । 
दैत्येभ्‍यो हरिरलम् । 
हरि दैत्‍यों के लिये पर्याप्‍त हैं ।


इति

टिप्पणियाँ

  1. नमस्ते (नमः+ते) इस में चतुर्थी नहीं है। क्यूं?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. क्योंकि ते प्रत्यय है। नमः के योग में प्रातिपदिक को चतुर्थी होगी। जैसे "नमो नमस्ते स्फटिकप्रभाय ....."।।

      हटाएं

एक टिप्पणी भेजें