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कबूतरों और चूहे की कहानी - पंचतन्त्र

आज जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ इसके बारे में आप बचपन से ही परिचित होंगे । बस आपको यह नहीं पता होगा कि यह कहानी पंचतन्त्र की है जिसे आचार्य विष्णुशर्मा ने लिखा था । तो आइये प्रारम्भ करते हैं – गोदावरी नदी के किनारे सेमल का एक विशाल वृक्ष था‚ उस वृक्ष पर विभिन्न प्रकार के पक्षी रहा करते थे । एक दिन लघुपतनक नामक एक व्याध जाल लेकर वहाँ आया । उसने पृथ्वी पर चावल बिखेर कर उनके ऊपर जाल बिछा दिया । उस समय चित्रग्रीव नामक कबूतरों का राजा अपने परिवारजनों तथा अन्य मित्र कबूतरों के साथ आकाश में उड़ रहा था । उसने सभी कबूतरों को चावल के टुकड़े दिखाते हुये कहा कि इसमें अवश्य ही कोई धोखा है‚ अतः हमें इन चावल के दानों को खाने का लोभ नहीं करना चाहिये; परन्तु उसके साथी कबूतरों ने उसकी बात नहीं मानी । सभी कबूतर दाना खाने नीचे उतर गये; फलस्वरूप वे सभी जाल में फँस गये । अब वे सब अपने मुखिया की बात न मानने का पछतावा करने लगे । उन्हें आपत्ति में फँसा देखकर चित्रग्रीव ने कहा - तुमलोग धैर्य न छोड़ो और एकसाथ ही जाल को लेकर उड़ चलो; गण्डकी नदी के किनारे चित्रवन में मेरा मित्र हिरण्य नामक चूहों का राजा रहता है‚ वह ...

पण्डित विष्णु शर्मा

     प्राचीन काल में (लगभग दूसरी शताब्दी ईसापूर्व) दक्षिण भारत में महिलारोप्य नामक एक नगर था । उस राज्य के राजा अमरशक्ति बड़े प्रतापी‚ जनसेवक तथा विद्वानों का आदर करने वाले थे । राजा अमरशक्ति के तीन पुत्र थे किन्तु तीनों का शास्त्राध्ययन से द्वेष था इसलिये वे तीनों विद्‍याविहीन मूर्ख थे । अपने पुत्रों की अनध्ययनशीलता से राजा अत्यन्त दुःखी थे । उन्होंने अपने पुत्रों को पढ़ाने का सारा प्रयत्न कर लिया था पर सफल नहीं हो सके । इस बात से राजा निरन्तर चिन्तित रहते थे । भला विद्‍या और ज्ञान के अभाव में वो राज्य को उत्तराधिकारी कैसे दे पाते । बहुत सोच-विचार के बाद राजा ने एक उपाय निकाला । उन्होंने अपने राज्य में घोषणा करा दी कि जो भी विद्वान् उनके तीनों पुत्रों को शास्त्राध्ययन कराएगा तथा उन्हें राजनीति में निपुण बना देगा उसे वे अपना आधा राज्य दे देंगे । आधा राज्य पाने की लालसा और लालच दूरदराज के राज्यों के विद्वानों को भी लुभाने लगी । पूरे देश में ये बात आग की तरह फैल चुकी थी जिसके कारण दूर-दराज से विद्वान् अपनी विद्वता का दम्भ लिये राजा के पुत्रों को पढाने आने लगे । सभी ने बारी-...