सभी महर्षि एकान्त में विराजमान मनु महाराज के पास जिज्ञासापूर्वक जाते हैं और आग्रह करते हैं - भगवन् आप सभी धर्माधर्म‚ यज्ञ-तपादि‚ वेद-वेदांग आदि को जानने वाले हैं अतः आप सभी वर्णों व वर्णसंकरों के धर्म का उपदेश करें । भगवान् मनु द्वारा उपदेश महाराज मनु ने सभी का आदर सत्कार करने के बाद सृष्टिवर्णन से प्रारम्भ करते हुए सबसे पहले ब्रह्म का वर्णन किया‚ इसके अनन्तर पृथ्वी‚ द्युलोक‚ अंतरिक्ष की उत्पत्ति का वर्णन‚ दिशाओं का निर्माण‚ सभी इन्द्रियों सहित मन की उत्पत्ति‚ त्रिगुणों व इन्द्रियविषयों की उत्पत्ति‚ पंचमहाभूतों‚ सभी प्रकार के प्राणियों के शरीर तथा नाम‚ कर्मादि की व्यवस्था के निर्माण का वर्णन किया । चारो वेदों और समग्र प्रधान देवों‚ समय‚ वर्ष‚ मास‚ पक्ष‚ तिथि‚ प्रहर‚ घटिका‚ पल‚ कला ‚ काष्ठा इत्यादि काल विभाग‚ नक्षत्र‚ ग्रह‚ नदी‚ पर्वत‚ समुद्र‚ उच्चावचभूमि‚ प्रजा‚ काम-क्रोधादि का वर्णन सहित चारों वर्णों का भगवान् के विविध अंगों से उत्पन्न होना बताया । इसके अनन्तर 10 प्रजापति महर्षियों का वर्णन - मरीचि अत्रि अंगिरस् पुलस्त्य पुलह क्रतु प्रचेतस् वसिष्ठ भृगु नारद इसी क्रम में सात
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप